ગુરુવાર, ઑક્ટોબર 29, 2015

टौस कर के भाग्य को ही देख ना!

काम करना बंध था उस हाथका,
स्पर्श को संभालना अब काम था.

वो हमारे साथ हो एसा लगा,
सांस लेना इस हवा का बंध सा.

शाम को लाचार सुनना बात का,
नींद का लोरी से छूपकर भागना.
...
युं कुचलकर फूल को अच्छा किया,
ढूंढ़ते थे कांटे कोई रासता.

पूछ मत हर बात पे अब क्या करुं,
टौस कर के भाग्य को ही देख ना!
(16-26.12.13)

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