काम करना बंध था उस हाथका,
स्पर्श को संभालना अब काम था.
वो हमारे साथ हो एसा लगा,
सांस लेना इस हवा का बंध सा.
शाम को लाचार सुनना बात का,
नींद का लोरी से छूपकर भागना.
...
युं कुचलकर फूल को अच्छा किया,
ढूंढ़ते थे कांटे कोई रासता.
पूछ मत हर बात पे अब क्या करुं,
टौस कर के भाग्य को ही देख ना!
स्पर्श को संभालना अब काम था.
वो हमारे साथ हो एसा लगा,
सांस लेना इस हवा का बंध सा.
शाम को लाचार सुनना बात का,
नींद का लोरी से छूपकर भागना.
...
युं कुचलकर फूल को अच्छा किया,
ढूंढ़ते थे कांटे कोई रासता.
पूछ मत हर बात पे अब क्या करुं,
टौस कर के भाग्य को ही देख ना!
(16-26.12.13)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો