बात ना करना दरारों से कभी,
कान होते है, दिवारो के कभी.
जो कभी अखबार मे आया नही,
वाकया सब की जुबानो पे कभी.
मान लो पतझड को जाते रोक लुं,
पेडने डाली को धमकाया है कभी?...
रात बिस्तर को चुराके सो गई,
ख्वाब जब उखडे रहे हमसे कभी.
चांद भी आयेगा करने गुफतगू,
बच्चे को लेकर गये छत पे कभी?
कान होते है, दिवारो के कभी.
जो कभी अखबार मे आया नही,
वाकया सब की जुबानो पे कभी.
मान लो पतझड को जाते रोक लुं,
पेडने डाली को धमकाया है कभी?...
रात बिस्तर को चुराके सो गई,
ख्वाब जब उखडे रहे हमसे कभी.
चांद भी आयेगा करने गुफतगू,
बच्चे को लेकर गये छत पे कभी?
(25.09-14.10.13)
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