લેબલ गझल સાથે પોસ્ટ્સ બતાવી રહ્યું છે. બધી પોસ્ટ્સ બતાવો
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ગુરુવાર, ઑક્ટોબર 29, 2015

टौस कर के भाग्य को ही देख ना!

काम करना बंध था उस हाथका,
स्पर्श को संभालना अब काम था.

वो हमारे साथ हो एसा लगा,
सांस लेना इस हवा का बंध सा.

शाम को लाचार सुनना बात का,
नींद का लोरी से छूपकर भागना.
...
युं कुचलकर फूल को अच्छा किया,
ढूंढ़ते थे कांटे कोई रासता.

पूछ मत हर बात पे अब क्या करुं,
टौस कर के भाग्य को ही देख ना!
(16-26.12.13)

રવિવાર, ડિસેમ્બર 29, 2013

बच्चे को लेकर गये छत पे कभी?

बात ना करना दरारों से कभी,
कान होते है, दिवारो के कभी.

जो कभी अखबार मे आया नही,
वाकया सब की जुबानो पे कभी.

मान लो पतझड को जाते रोक लुं,
पेडने डाली को धमकाया है कभी?...

रात बिस्तर को चुराके सो गई,
ख्वाब जब उखडे रहे हमसे कभी.

चांद भी आयेगा करने गुफतगू,
बच्चे को लेकर गये छत पे कभी?
 
(25.09-14.10.13)